Wednesday, August 27, 2014

मैंने चाहा कि बता दूँ मैं हक़ीक़त अपनी, तूने लेकिन न मेरा राज़.…

मार्ग का मतलब है रास्ता
दर्शक का मतलब है देखने वाला
हिंदी बहुत आसान और स्पष्ट भाषा है, सहज, सरल।  इसमें न तो क्लिष्टता है,न ही किसी किस्म का दुराव-छिपाव।
कुछ लोग दर्शक से तात्पर्य "दिखाने वाला"भी समझ लेते हैं।  यह कैसे संभव है?
यदि हिंदी की प्रगतिशीलता के अंतर्गत शब्द गढ़ने का प्रयत्न भी किया जाए, तो दिखाने वाले के लिए 'दिखावक' या 'दर्शावक' जैसा कुछ होना चाहिए।
'मार्गदर्शी' भी ऐसा ही है।
अब ये तो सब टाइम-टाइम की बात है।  जब खाप पंचायत का ज़ोर बढ़ा तो लोग एम्पायर को भी 'खेलपंच'कहने लगे।
हाँ,अब अगर सरकारी अफसर बनने वाले बच्चे न्यूयॉर्क की किसी बिल्डिंग को "खेलपंच राज्य भवन"कहने लगें तो दोष हिंदी का थोड़े ही माना जाना चाहिए।        

2 comments:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...