Thursday, May 9, 2013

आइये "पीढ़ी -अंतराल" मिटायें

 पीढ़ी -अंतराल माने जनरेशन गैप। जब भी कोई बात होती है तो उस पर दो पीढ़ियों के लोग अलग-अलग तरह रिएक्ट करते हैं। दोनों ही अपने वर्जन को सही मानते हुए दूसरे  के दृष्टिकोण की उपेक्षा करते हैं। बस, हो जाता है विवाद।
 पुराने ज़माने में कुछ लोग ऐसे होते थे, जिनकी भाषा अच्छी और शुद्ध होती थी। इसी कारण उनकी मांग और आदर होता था। लोग तरह-तरह के कामों में उनकी मदद लेते थे। इस से उनमें एक अहम या आत्म -विश्वास की भावना आ जाती थी। वे अपने को श्रेष्ठ समझने लगते थे।
अब ऐसे लोगों पर कोई ध्यान नहीं देता। न ही उन्हें इस कारण से विशेष माना जाता है। बस, पुराने लोग समझते हैं कि  नया ज़माना कृतघ्न हो गया, किसी का आदर करता ही नहीं।
इसका कारण  यह है कि  यह तकनीक का ज़माना है। आप तकनीक से अच्छी भाषा लिख सकते हैं, आपकी स्पेलिंग्स चैक हो जाती है, अक्षर सुन्दर बन जाते हैं, शब्द-भण्डार व सही व्याकरण एक क्लिक से उपलब्ध हो जाता है। और यह आपकी नहीं, मशीन की विशेषता है, इसलिए इसके लिए किसी को "क्रेडिट" देना नई पीढ़ी ज़रूरी नहीं मानती। आप सोचते हैं कि बचपन में मास्टरों से मार खाकर,अभ्यास कर-कर के, मुश्किल से जो सीखा, ये आज के लोग उसे अहमियत ही नहीं देते।बस, आप उनसे खफा हो जाते हैं।
सोचिये, जो चीज़ उनके लिए मुफ्त की हो, उसके लिए वे आपको धनवान क्यों समझें? 

2 comments:

  1. Sahi Baat Hai...
    is pidhi me sabhi jan taknik ke bolbala se wakif hai shyad isiliye 'credit' lene wali baat me jyada matbhed nhi hai...

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