Monday, October 1, 2012

अपवाद

   यह माना जाता है कि  कोई भी व्यक्ति अपने खुद के हित पूरे करने के लिए जवाब-देह न हो।ऐसी स्थिति को "स्वार्थ" कहा जाता है।हमेशा यह व्यवस्था की जाती है कि कोई अन्य व्यक्ति या एजेंसी ही किसी  के हितों या हक़ की जांच करे। घास की रखवाली बकरी को, या मांस की रखवाली शेर को नहीं दी जा सकती। इसीलिए किसी भी व्यवस्था में किसी के काम का मूल्य कोई और निर्धारित करता है। यदि आपका पुत्र कोई परीक्षा दे रहा है, तो उस परीक्षा के परीक्षक या आयोजक  आप नहीं हो सकते। यदि आप कोई लॉटरी  निकाल रहे हैं, तो वह स्वयं आपके नाम नहीं निकल सकती। यह नियम नैतिकता को बल प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं। इस तरह किसी भी समाज में नैतिकता के उच्च मानदंड स्थापित किये जाते हैं।
   किन्तु हर नियम के कुछ अपवाद भी होते हैं। यह नियम भी कोई अपवाद नहीं है। इसका भी अपवाद है। जैसे ...जैसे भारतीय सांसदों के वेतन और भत्तों का निर्धारण खुद सांसद ही करते हैं।

2 comments:

  1. किन्तु हर नियम के कुछ अपवाद भी होते हैं। यह नियम भी कोई अपवाद नहीं है। इसका भी अपवाद है। जैसे ...जैसे भारतीय सांसदों के वेतन और भत्तों का निर्धारण खुद सांसद ही करते हैं।
    there are more than thousand example

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