Wednesday, September 26, 2012

बाज़ार से सौदा लेने जाओ, तो बैग ज़रूर साथ रखना

   "आज भगत सिंह का जन्मदिन है। शहीद भगत सिंह का। कल भगत सिंह का जन्मदिन है। शहीद भगत सिंह का। "
   आपको ये पंक्तियाँ पढ़ कर कुछ असमंजस हो रहा होगा? यह कोई बड़ी बात नहीं है, यह मीडिया का एक छोटा सा कन्फ्यूज़न है। आप इसे सॉल्व  कर लीजिये। वैसे ही, जैसे और मुद्दों पर करते हैं ...मसलन कई अखबार पढ़कर, या फिर दो-चार अलग-अलग चैनल्स देख कर।
   यह तो खैर तथ्य के अलग होने की बात है, कुछ लोग भावना के अलग होने की बात भी करते हैं। कोई उन्हें शहीद का दर्ज़ा देता है, कोई इसकी ज़रुरत नहीं समझता। हम कामना करें कि  देश हित का जो जज्बा उनमें था, वह हम में भी बना रहे।
   बाज़ार और बैग की बात मैंने इसलिए की थी कि  बैग से हमें सामान रख पाने की हमारी क्षमता भी पता चलती है और सामान भी सुरक्षित रहता है। "राष्ट्रीयता" भी हमारा बैग है जिसमें हम अपनी ज़रुरत-भर मानवता विश्व-बाज़ार से लेकर रख सकते हैं।

1 comment:

  1. बाज़ार और बैग की बात मैंने इसलिए की थी कि बैग से हमें सामान रख पाने की हमारी क्षमता भी पता चलती है और सामान भी सुरक्षित रहता है। "राष्ट्रीयता" भी हमारा बैग है जिसमें हम अपनी ज़रुरत-भर मानवता विश्व-बाज़ार से लेकर रख सकते हैं।
    BEAUTIFUL THOUGHT

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...