Tuesday, August 7, 2012

यह इस बात का प्रमाण है कि सब कुछ नहीं बिगड़ा

  जिस तरह एक भीड़ भरे  होटल में खाना खाते समय आपको हर वक्त इस बात के लिए चौकन्ना रहना पड़ता है कि आप पूरा भोजन अच्छी तरह खाकर ही उठें,अन्यथा आपके उठते  ही कोई दूसरा आपकी जगह बैठ जाएगा,ठीक उसी तरह आजकल किसी भी ओहदे पर आपका कार्यकाल भी होता है.आप कितने ही कुशल या सक्षम  हों, लोग आपकी सेवानिवृत्ति के लिए तत्पर रहते ही हैं,उन्हें लगता है कि आपकी बारी ख़त्म , अब उनकी बारी है.
   ऐसे में श्री हामिद अंसारी का दुबारा उपराष्ट्रपति चुना जाना उन दिनों की याद  ताज़ा करता है जब देश में राजेंद्र प्रसाद और राधाकृष्णन जैसे लोग पदों की शोभा होते थे.अन्सारीजी का भावभीना स्वागत .

1 comment:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

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