Tuesday, August 14, 2012

इतिहास बदलने की अनुमति है [चार]

[बच्चे नारे लगाते हुए बढ़ते आ रहे हैं, और काल प्रहरी उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा है]
पहरेदार - अरे,अरे ये क्या। तुम लोग कहाँ आ रहे हो? ठहरो, दीवार को मत छूना , कौन हो तुम लोग ? कहाँ
                   जाते हो ...
बच्चे -        अपना हक़ लेकर रहेंगे , अपना हक़ लेकर रहेंगे ..
पहरेदार  - अरे पर किस से लेकर रहोगे , तुम हो कौन ?
जिजीविषा - बच्चो, एक मिनट ठहरो, तुम सब यहाँ आराम से बैठ जाओ, देखो, हम यहाँ एक सभा करेंगे, सभा
                   यानी एक बैठक  ... तुम सब उसमें अपनी बात कहना ...
[धीरे-धीरे शोर कमज़ोर पड़ जाता है,बच्चे एक-दूसरे  को देखते हुए बैठने लगते हैं। दो बच्चे बैनर पकड़ कर पीछे खड़े हो जाते हैं। काल प्रहरी और जिजीविषा भी सामने बैठ जाते हैं। ]
जिजीविषा - हाँ, अब शांति से बताओ बच्चो, तुम क्या कहना चाहते हो ? एक-एक करके ..
पहरेदार  -पर ये दीवार मत छूना...
जिजीविषा - ओ हो कालू, बच्चों को बोलने दो। बीच में मत टोको।
[एक लड़की खड़ी होकर बोलने लगती है]
जिजीविषा - पहले अपना नाम बताओ,
लड़की -       मेरा नाम करुणा  है
[बीच में एक लड़के की आवाज़ आती है ]
लड़का -      झूठ, इसका नाम कैरी है।
जिजीविषा - अच्छा-अच्छा उसे बोलने दो,
करुणा  -     हम सबने मिल कर यह मंच बनाया है। इसमें हम ममता को बचाने के लिए काम करेंगे।
जिजीविषा - ममता, कौन ममता, कहाँ है ममता ? उसे क्या हुआ है, कौन सी है ममता ! ममता खड़ी हो जाओ
                   बहन ...
[ बच्चों में हलचल होती है ]
करुणा  -     ममता कोई नहीं है। मैं तो उस ममता की बात कर रही हूँ, माँ की ममता, माँ -बाप की ममता ...
जिजीविषा - अच्छा-अच्छा , तो तुम लोग माँ-बाप की ममता को बचाने की बात कर रहे हो ? सच है तुम्हारी
                   बात एकदम ठीक है।[खड़ी होकर ] ममता तो आजकल बिलकुल ख़त्म होती जा रही है आज
                   सबको अपनी-अपनी जिंदगी की चिंता है बस, सबको अपने आराम की पड़ी है, धन दौलत जोड़ने  की पड़ी है,
                   पैसे की  पड़ी है। ममता पर तो कोई ध्यान ही नहीं दे रहा।
लड़का -       [खड़ा होकर] अरे यह दीदी तो हमारी तरफ ही हैं,ये तो वही बात कह रही हैं जो हम कहते हैं, फिर हम किस से न्याय मांगेंगे ? चलो यहाँ से ...

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