Thursday, May 17, 2012

रिकार्ड यहाँ भी टूटते हैं

एक  दुनिया  ऐसी  भी  है ,  जहाँ केवल  रिकार्ड  बनते  हैं।  यह  दुनिया  है,   नेताओं  की दुनिया।  अर्थात  सत्ता-जगत . प्राय  यहाँ  घोटालों  के  रिकार्ड  बनते  हैं। कब   किसने  देश  को कितने  करोड़   का  नुक्सान  पहुँचाया, कब  किसने  कहाँ   कितना  कमीशन  खाया, यह  सांख्यिकी  अक्सर देश को  पता  चलती  ही  रहती है। 
दूसरी   तरफ  एक  दुनिया  ऐसी  भी  है, जहाँ   हर  चेहरा  कैमरों  को   सूरजमुखी  की   तरह  निहारता  ही  रहता  है, यहाँ  हर   आदमी की  हर   बात के   लिए तस्वीर   खींचने की  अहमियत   होती है। लोग   करोड़ों खर्च  कर  डालते  हैं,  मीडिया   में  अपना चेहरा   झलकाने के  लिए।  
यह   दिलचस्प  है,  कि   कभी -कभी  ये  दोनों  दुनियां   दो   ग्रहों की  भाँति   आपस  में    टकरा भी जाती  हैं। फिर   देखने  वालों को  मज़ा   आता है  कि   रिकार्ड  बनाने  वाली   संसद में  कभी-कभी  रिकार्ड  टूटते  भी  हैं।  
एक  रिकार्ड  हाल  ही  में   तब  टूटा  जब  एक  पुरानी  और  प्रतिष्ठित  नेता  ने  सभापति   से  शिकायत  की  कि   मेरी  तस्वीर   क्यों खींची  जा   रही है? क्यों  बार -बार जनता  में   मेरा चेहरा  दिखाया  जा   रहा है?
 बेचारे  सभापतिजी यह  भी  नहीं कह पाए कि  मैडम ,  भूल  गईं,  कभी   आपने  अपने  चेहरे  को  रजतपट   पर  लाने के  लिए स्क्रीन - टेस्ट  दिया था,  फिर  घर-घर  में  आपकी   तस्वीरें लग  गईं  थीं,  लोग  आपका  चेहरा  फिर-फिर  देखने  के  लिए  आपकी  नई   फिल्म  का  इंतज़ार   किया करते  थे .
बेबी  आराध्या बच्चन  की  दादी,  ऐश्वर्या मैडम  की  सास  माननीय  जया  बच्चन  ने  यह  ऐतराज़  केवल  इसलिए  जताया  था,  कि   उधर  राज्य-सभा में  शपथ  तो  ले  रही  थीं  उमरावजान  खूबसूरत  रेखा,  और  कैमरा  निगोड़ा  बार-बार  जा  रहा  था  जया  जी  पर। बात  तो  जायज़  थी,  रिकार्ड  टूटे  तो  टूटे।  
देखें,  "पा" इस  पर  क्या  कहते  हैं?    

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