Wednesday, April 4, 2012

सूखी धूप में भीगा रजतपट [भाग 29 ]

     ...किन्ज़ान बहुत क्रोध में था, वह शायद बूढ़े की जान ही ले डालता,लेकिन मार खाते-खाते भी बूढ़ा बार-बार गिड़गिड़ा कर यही कहे जा रहा था कि एक बार मेरी बात तो सुनो...
     किन्ज़ान एक पल हाथ रोक कर बोला-  बोल, बता, तूने ऐसा क्यों किया?
     बूढ़ा बोला- ...मुझे रस बानो ने भेजा था...लेकिन यह कहते ही बूढ़ा पश्चाताप से भर गया. अपने दांत काट कर बोला- मुझे माफ़ करदो, मैंने उसकी दी हुई कसम तोड़ दी.
     किन्ज़ान एकदम ठहर गया. उसे इस बात का ज्यादा  आश्चर्य नहीं था कि उसकी माँ ने ही उसे किन्ज़ान का मिशन फेल करने भेजा, बल्कि इस से भी ज्यादा तो वह यह देख कर चौंका, कि यह कौन व्यक्ति है जो उसकी माँ को 'रस बानो' नाम से पुकार रहा है?
     बूढ़ा किसी हताश अपराधी की तरह माथे पर हाथ लगा कर नीचे बैठ गया. उसे लग रहा था कि उस से गलती पर गलती हुए जा रही है.
     किन्ज़ान तो जैसे दो पल में ही किसी दूसरी दुनियां का वासी हो गया. उसे ऐसा लगा, जैसे किसी ने प्रश्नों का गट्ठर उस के दिमाग की नसों में घुसा दिया हो. वह भी ठीक बूढ़े ही की तरह अपने सर पर हाथ रख कर बूढ़े के सामने बैठ गया.
     बूढ़ा आत्मीयता से बोला- तुम्हारी माँ तुम्हें बिलकुल भी नुक्सान नहीं पहुँचाना चाहती थी. उसने केवल मुझसे यह कहा था कि मैं तुम पर नज़र रखूँ, और तुम्हें जब भी पानी जीतने की मुहिम पर जाते देखूं, तो उचित-अनुचित की परवाह किये बिना तुम्हें रोकने की कोशिश करूँ.
     किन्ज़ान एकटक बूढ़े को देखता रहा. एक पल सांस लेकर वह बूढ़ा  खुद ही फिर बोला- तुम्हारी नाव बुलेट-प्रूफ थी. इसमें गोली का असर नहीं होता था, मैंने किनारे से केवल इसमें लम्बा काट लगाने की कोशिश की. किन्तु मुझे छेद होता नहीं दिखा, और यह तेज़ी से भाग रही थी. मैं डर गया. तुम थोड़ी ही देर में छलनी हुई नाव से आसमान जैसी ऊंचाई से गिर जाने वाले थे. मैंने आपा खो दिया,और बिना सोचे-समझे नाव के किनारे पर दनादन गोलियां बरसा डालीं. कह कर बूढ़ा फिर से अपने आंसू पोंछने लगा. किन्ज़ान और कुछ पूछता, इस से पहले ही बूढ़ा फिर अपने आप बोल पड़ा- मैंने आज तक अपनी बहन की कोई बात नहीं टाली...उसने पहले ही बहुत दुःख झेले हैं...
     किन्ज़ान सब भूल गया. अपने मिशन की असफलता भूल गया. अपना दर्द भूल गया. अपने आप को भी भूल गया. बस, उसे याद रहा तो केवल यह, कि एक अजनबी बूढ़ा उसकी माँ को अपनी बहन कह रहा है. और माँ का नाम रस्बी नहीं बल्कि रस बानो उच्चार रहा है. उसकी माँ के आदेश को पत्थर की लकीर मान कर इतना बड़ा जोखिम ले कर उसे बचाने चला आया है. माँ द्वारा कसम दिए जाने की बात कर रहा है... और अपने से चौथाई उम्र के लड़के से मार खाकर भी अविचलित बैठा है. ऐसे में किन्ज़ान को अपनी माँ की याद आई. [ जारी...]         

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