Sunday, April 1, 2012

सूखी धूप में भीगा रजतपट [ भाग 26 ]

     बच्ची को दवा देकर सुला दिया गया.नाना का ही नहीं, खुद उसके मम्मी-पापा का भी यही मानना था कि लगातार बैठ कर कहानी सुनने से हुई थकावट के चलते बच्ची को हरारत हो गई है.भोजन के बाद दोनों बहनों ने भी मेहमान दंपत्ति से जाने की इजाज़त ली क्योंकि उन्हें भी सुबह जल्दी ही अपनी ड्यूटी के स्थान के लिए वापस निकलना था. बेहद आत्मीयता से वे दोनों अभिवादन करके चली गईं.
     नाना इतने उम्रदराज़ होते हुए भी बिलकुल थके नहीं हैं, यह देख कर मेहमान दंपत्ति और उनका बेटा फिर से नाना के पास आ बैठे. माँ ने एक बार बेटे से कहा भी, कि बहुत रात हो चुकी है, और अब वह सो जाये, किन्तु उस पर माँ की बात का कोई असर नहीं हुआ. वह उसी तरह नाना के पास बैठा रहा. कुछ देर की चुप्पी के बाद बेटे ने ही मौन तोड़ा, वह बोला- नाना ! बाद में रस्बी आंटी को पानी में बहते हुए भी कहीं किन्ज़ान की लाश दिखाई दी?
     यह सुनते ही नाना थोड़ा संकोच के साथ यह देखने लगे, कि क्या वास्तव में इतनी रात गए वे लोग कहानी के बाबत और सुनना चाहते हैं? माता-पिता के चेहरे पर भी बेटे जैसी उत्सुकता देख कर नाना ने कहना शुरू किया- "रस्बी गिरते ही मौत के साथ दूसरी दुनिया में चली गई. उस दूसरी दुनिया में किसी को तलाश करना बहुत मुश्किल होता है. हम सोचते हैं कि जो लोग दुनिया से चले जाते हैं, वहां भगवान के घर एक छत के नीचे सब मिल जाते हैं, किन्तु ऐसा नहीं है. यहाँ तो फिर भी हम सौ-पचास साल के लिए आते हैं, और एकसाथ हमारी तादाद चंद अरब में ही होती है, परन्तु उस दुनिया में तो हम करोड़ों सालों से करोड़ों की संख्या में जाते रहे हैं. वहां न किसी को ढूंढना संभव है, और न किसी का आसानी से ऐसे मिल जाना. लेकिन...
     -...लेकिन क्या नाना ?
     -लेकिन फिर भी उस दुनिया और इस जगत की दूरी ऐसी नहीं है, कि वहां से कभी कोई लौट कर आया ही न हो.
     - क्या मतलब ? क्या मरने के बाद भी कोई फिर कभी जीवित हुआ है ?
     -नहीं, जीवित तो नहीं हुआ, मगर ...मगर ऐसा ज़रूर हुआ है कि कोई ठीक से पूरी तरह मर नहीं सका.
     - पूरी तरह न मरना क्या होता है? माँ और पिता ने बेटे जैसी ही उत्सुकता से एकसाथ पूछा.
     - यदि व्यक्ति असमय, किसी ज़बरदस्त लगाव के रहते या फिर किसी अभिलाषा के रहते अकस्मात् चला जाता है, तो उसके शरीर के साथ उसकी "जान" या आत्मा के सारे तंतु दुनिया से सिमट नहीं पाते. ऐसे में वह कभी-कभी किसी न किसी सूरत में दुनिया में फिर झलकता है, कभी हम इसे आत्मा का भटकना कहते हैं, तो कभी पुनर्जन्म होना.
     ऐसी बातें उन लोगों ने भारत में तो सुनी थीं, किन्तु अमेरिका में इतने अनुभवी बुज़ुर्ग से सुनना उन्हें रोमांचित  कर गया. बेटे के तो यह सुनते ही रोंगटे खड़े हो गए. उसने अपने बिस्तर पर लेट कर झटपट एक चादर से मुंह ढक लिया. नाना ने भी उन्हें थका जान कर अब सो जाने का आग्रह किया...[जारी...]     

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