Sunday, November 6, 2011

ग्रेटा गार्बो, मर्लिन मुनरो, एलिज़ाबेथ टेलर, एश्वर्या राय और सोफिया लॉरेन में तीन बातें समान

इतिहास के एक लम्बे दौर में समानताएं तलाश करना मुश्किल काम है. फिर यदि इतिहास भी पूरे विश्व का हो तो यह काम और भी कठिन हो जाता है. लेकिन अनुसन्धान करने वालों के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. ऑस्ट्रेलिया के एक अनुसन्धान दल ने यह मुश्किल काम कर दिखाया है. इस दल में दो सदस्य हैं. ये दोनों ही पी.एच.डी.की डिग्री के अब संयुक्त पात्र बन चुके हैं. 
इन्होने मेक्सिको, स्वीडन, फ़्रांस और स्कॉटलैंड में किये अपने गहन अध्ययन से यह दुर्लभ और आश्चर्यजनक निष्कर्ष निकाला है कि ये पाँचों हस्तियाँ महिला हैं. 
इनका अध्ययन महिला सशक्तिकरण पर नहीं था, न ही इनका कुछ लेना-देना वीमेंस इश्यूज से था. इनके तो सामान्य सार्वभौमिक अध्ययन में यह अद्भुत निष्कर्ष निकल कर आया. 
इन शोधकर्ताओं ने  इस रहस्य पर से पर्दा उठाने में भी सफलता पाई है कि ये सभी महिलाएं कभी न कभी सिनेमा के क्षेत्र से जुड़ीं. इनकी सफलता-असफलता शोध कर्ताओं के अध्ययन का केंद्र नहीं थी, केवल यह संयोग ही कहा जायेगा कि ये पाँचों स्त्रियाँ अभिनय के क्षेत्र में दखल रखने वाली निकलीं. 
इनकी समानता इस तथ्य पर भी विस्मित करने वाली निकली कि ये सभी बनावटी सौन्दर्य को नापसंद करने वाली निकलीं. ये सभी शोध-कर्ताओं के अध्ययन में नैसर्गिक सुडौलता की कायल पाई गईं. 

3 comments:

  1. वैसे बनावटी सौन्दर्य को तो शायद ही कोई पसंद करता होगा।

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  2. धन्य हैं यह तालिबान (तालिबान=स्कॉलर्स)

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  3. vivekji, dheere boliye, varna duniya bhar men faile saundary ke coaching centers sun lenge. par shayad talibaan to dheere bhi sun lenge.

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