Friday, April 8, 2011

शिक्षा अमेरिका में जंगली नहीं बनी

यदि नियमों में शिथिलता हो तो यह एक प्रकार की अराजकता ही है। कभी-कभी अपवाद स्वरुप किसी को किसी नियम से छूट देना स्वीकार्य हो सकता है , वह भी तब जब इसका कारण अभिलेख पर लिया गया हो।पर सस्ती लोकप्रियता या अपनों को लाभ पहुँचाने की भावना के साथ किसी नियम की अनदेखी की गयी हो तो यह क्षम्य नहीं है। कभी - कभी ज़रा सी लापरवाही से नियम का ध्यान न रखना आगे जाकर कानून-व्यवस्था का बड़ा सवाल बन जाता है। भ्रष्टाचार का बीजारोपण यहीं से होता है।मैं जब किसी विद्यालय में परीक्षा के दौरान बच्चों को नक़ल करते देखता हूँ और साथ में शिक्षकों को भी इसकी अनदेखी या इसमें सहयोग करते देखता हूँ तो मुझे इतिहास का वो पन्ना याद आ जाता है जब हमारे देश में फांसी की सजा दी जाती थी। मुझे यह सवाल देश के भविष्य को मिट्टी में मिलाने जैसा ही लगता है। ऐसे बच्चे और ऐसे अध्यापक मुझे वो ज़हरीले बीज नज़र आते हैं जो भविष्य में देश को खा जायेंगे। ये बच्चे उन से भी ज्यादा खतरनाक हैं जिन्हें विद्यालय में जाने का मौका ही नहीं मिला। न जाने ऐसे कितने बच्चे अब हमारे देश में विभिन्न पदों पर पहुँच कर न जाने किस-किस काम को कर रहे होंगे और देश की किस्मत को फोड़ रहे होंगे। आप पीने का पानी छान कर किसी बर्तन में भर रहे हैं, और आपको पाता चले कि किसी ने आपकी नज़र बचा कर इसमें बिना छाना पानी मिला दिया , तो फिर आप चाहे कितनी ही होशियारी से आगे पानी छानते रहें अंत में आपके पास जो पानी आयेगा वह गन्दा ही होगा।इस लिए मैं अब देश की शिक्षा व्यवस्था को बदबूदार ही मानता हूँ। आज आपके पास सैकड़ों ऐसे डिग्री प्राप्त लोग हैं, जिन्हें शिक्षा का मतलब भी नहीं पता,और मज़े की बात यह है की ये लोग तरह तरह के आंदोलनों से पदोन्नतियां मांगते हैं।

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