Saturday, March 5, 2011

प्रावधान, प्रयोग और अमेरिका

किसी चीज़ या सुविधा के इस्तेमाल के दो तरीके हैं। एक, वह चीज़ हमें प्रयोग करने को मिल रही हो। दूसरा, हमारे पास उसका प्रावधान हो। हम जब चाहें या ज़रूरी समझें, उसे इस्तेमाल कर सकें। पहले तरीके में वह हमारी मिल्कियत हो या न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता।हम उसका आनंद उठाते हैं।
अमेरिका के लोगों की एक जबरदस्त खासियत यह है कि वे प्रावधान में यकीन रखते हैं। बेवजह प्रयोग करने में उनकी दिलचस्पी नहीं रहती।
इसे यूँ समझिये- अमेरिका की सड़कों पर चलते वाहनों से आप होर्न की आवाज़ बहुत कम, या बल्कि ज़रूरी होने पर ही सुनेंगे। वहां अकारण ध्वनि प्रदूषण फ़ैलाने पर जुर्माना भी है।हजारों कारें एक साथ चल रही हैं, लेकिन होर्न केवल उसका सुनाई देगा, जिसके लिए बहुत ज़रूरी हो। सड़क पर बिना-बात शोर मचाने का बचकाना पन वहां नहीं मिलेगा। यदि एम्बुलेंस रोगी को ले जा रही है, वह आवाज़ करेगी। यदि फायर-ब्रिगेड जा रही है, आप उसकी आवाज़ सुनेंगे। यहाँ तक वीआइपी जा रहे हों, तो भी अकारण शोर नहीं मचेगा। पुलिस की गाड़ियाँ भी शांति और ज़िम्मेदारी से आती-जाती दिखेंगी।
क्षमा कीजिये, ऐसा तो हरगिज़ नहीं होगा कि सरकारी गाड़ी में अफसर की बीबी ब्यूटी-पार्लर जा रही हो तो भी लाल-बत्ती और सायरन दहाड़ते चलें।या फिर डाक्टर शाम को सब्जी लेने जा रहा हो और एम्बुलेंस जोर से सायरन बजाती चले।
गाड़ियों में चलते ड्राइवरों के इस ज़िम्मेदारी-भरे अहसास के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है, कि ड्राइविंग लाइसेंस शायद गाड़ी चलाने की क्षमता और सड़क पर चलने के सलीके को जांचने के बाद ही दिए जाते हों।

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