Friday, March 4, 2011

अमेरिका शिक्षा को ज़िन्दगी की बेहतरी का अस्त्र मानता है

इस तुलना का कोई अर्थ नहीं है कि अमेरिका में प्रति विद्यालय कितने बच्चे हैं, या कितने बच्चों पर एक अध्यापक है। या फिर विश्व-विद्यालय या कालेज कितने हैं।सवाल यह है कि वहां शिक्षा को क्या माना जाता है? शिक्षा एक इन्सान के लिए क्या भूमिका अदा करती है। वहां शिक्षित व्यक्ति की कद्र बाकी दुनिया में कैसी होती है। यह एक लगभग सर्वमान्य तथ्य है कि किसी भी देश के किसी भी संकाय के होनहार बच्चों के मन के किसी कोने में यह इच्छा अवश्य रहती है कि वह अपनी शिक्षा की कोई न कोई डिग्री अमेरिका से ज़रूर लें। क्या इसे सही शिक्षा पाए बच्चे की वास्तविक अभिलाषा नहीं कहा जाये? ठीक प्रकार शिक्षित और शिक्षा को सही परिप्रेक्ष्य में ग्रहण करने वाला विद्यार्थी शायद ' सर्वश्रेष्ठता ' का मतलब समझना सीख जाता है।
थोड़ा विषयांतर होगा, पर आपने लोक कथाओं के बारे में अवश्य सुना होगा। ऐसी कई लोक कथाओं में बताया जाता है कि कोई व्यक्ति पैसा कमाने, कुछ सीखने, या फिर कुछ खोजने घर से निकला। वह विभिन्न बाधाओं के बावजूद अपने मकसद में कामयाब हुआ।बाद में उसकी कामयाबी को देख कर, कोई दूसरा व्यक्ति भी उसी तरह घर से निकला। किन्तु दूसरे व्यक्ति को वैसी सफलता नहीं मिली और वह खाली हाथ लौट आया।लोक कथाएं प्राय इसका कारण यह बता कर पटाक्षेप करती हैं कि दूसरा व्यक्ति ईर्ष्या से वहां गया था या वह मात्र नक़ल करने के लिए गया था।
लोक कथाओं का यह लोकप्रिय सूत्र हमें बताता है कि शिक्षा में ' मौलिकता ' का क्या महत्व है। शायद अमेरिकी शिक्षा की गुणवत्ता का एक कारण यह मौलिकता भी है।शिक्षा में नक़ल भला कैसे स्वीकार्य हो सकती है?

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